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स्वैच्छिक

शीर्षक स्वैच्छिक

पीयूष अपना विद्यालय का अध्यन पूर्ण कर चूका था और आगे के अध्यन के लिए महाविद्यालय में दाखिला पाने में जुट गया था जब इन्हें पता चला की इनका नाम उन्ही के जिले के महाविद्यालय की सूची में आया है तब वे बहुत खुश हुए।

कुछ समय के बाद उन्होंने अपने कुछ मित्रो से संपर्क किया तब पता चला की उनका नाम दुसरे ही महाविद्यालय में आया था और फिर वे थोड़े से गुमसुम से हो गए और अपने कमरे मे चले गए।

"शाम का समय चल रहा था तब उनके पिताजी को फोन आया जो पीयूष के गुरू ने और कुछ सहपाठियों के पलकों ने किया था"।

फिर पीयूष ने अपने पिताजी से पूछा "आप इतना खुश क्यो है?किसका फोन था"। तब पीयूष को पूरी बात बताते हुए कहे की "पीयूष के साथ पढ़ने वाली कुछ लड़कियां का भी नाम उसी महाविधालय की सूची में आया है जिसमे पीयूष का आया था"।

फिर कुछ दिनों के बाद दोपहर के समय में पीयूष उन सभी के साथ मिलकर महाविधालय में अपना दाखिला करने के लिए गए और अपना दाखिला करके वापिस भी आ गए।

सभी लोग बहुत खुश थे स्कूल के बाद में महाविधालय में भी साथ में पढ़ने वाले थे और जब अगस्त का महीना प्रारंभ हुआ तब उन सभी की कक्षाएं प्रारम्भ होने लगी और वे सभी कक्षाएं लगाने महाविधालय जाने लगे।

"जब पीयूष अपने महाविधालय जा रहा था तब उसकी मुलाकात एक अन्य बालक से हुई जो पीयूष के ही कक्षा में पढ़ रहा था और वे दोनो उस दिन साथ में महाविधालय जानें लगे"।

उस अन्य बालक का नाम रमन था जो पीयूष का सर्वप्रथम दोस्त बना और दोनो एक साथ घर वापिस भी आए।

पीयूष प्रतिदिन अपने महाविधालय में आता और अपने काम में मग्न हो जाता था और जब शिक्षक दिवस का समय आया तब सभी ने शिक्षक दिवस को बनाए।

प्रतिदिन महाविधालय में जाने के बाद उसकी मुलाकात सभी से होती गई और उसके आगे जाकर सभी दोस्त बनते भी लगे।।

खाली पीली समय पर पीयूष कुछ लेख या कहानी को बताकर करता था और कुछ दोस्त उसे कविराज कहते थे।

दिसम्बर का महीना चल रहा था और जब पीयूष अपने महाविधालय में पहुंचा तब उनके गुरू ने उनके विषय से रिलेटेड कुछ पेपर्स दिए और कहे की यह पेपर्स सभी जगह बाट देना।

पीयूष ने अगले दिन सभी पेपर्स अपनी कक्षा में दिए और फिर एक महाविधालय का ग्रुप बनाया।

ग्रुप में सभी धीरे धीरे जुड़ रहे थे और सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था और पीयूष धीरे धीरे सब कुछ ग्रुप में जानकारी देता था।

ग्रुप के बारे में सभी विषय के छात्र छात्रा जी को पता चला और वे अपने काम में व्यस्त होने लगे।। पीयूष की मुलाकात सभी विधार्थी से होती गई और धीरे धीरे अपने ग्रुप में जोड़ता गया ।

"किसी दिन में पीयूष अपनी कक्षा लगाने गया था जहां पर उस कक्षा में उसका प्रथम दिन था और वह शुरुवात में थोड़ा नर्वस था फिर भी उन्होने कक्षा लगाए"।

नए साल के प्रारंभ में सब लोग हो गए थे व्यस्त अपनी स्टडी में और कर रहे थे तैयारी 26 जनवरी की। 26 जनवरी आने पर नारे बहुत लोगों ने लगाया फिर उसके बाद फरवरी महीना भी आया।

फरवरी महीना छोटा ही सही पर थोड़ा रोमांटिक भी होता है कुछ दिन बीत जाने के बाद थोड़े अजीब दिन भी होते है जो पीयूष को पसंद नहीं रहते।

"मार्च महीना जब आया अपने संग परीक्षा का नोटिस भी लाता है और उस समय हर कोई पढ़ने में जुट जाता हैं डरते डरते ही सही वह पढ़ने लग जाता हैं"।

परीक्षा चलती गई अप्रैल महीने तक फिर बरसात का समय भी आया जब मई जून का महीना आया। मई जून में होती बारिश हर कोई घर में रुक जाता हैं फिर जुलाई महीने में पीयूष का जन्मदिन आता है और उसे हर कोई बधाई देता है।

15 अगस्त का जब समय आता है वह अपने गांव के स्कूल में ही मनाता है और उसके जगह कही जा भी नहीं पाता है।

5 सितंबर को अपना शिक्षक दिवस बनाकर गुरुओं का आशीर्वाद लेता है फिर 2 अक्टूबर को गांधी जयंती में बनाकर उसमें शामिल होता है।

फिर कुछ दिन बाद हमारा परिणाम आता है जिसमें हम सभी पास हो जाते है और 14 नवम्बर के दिन को हम सभी बाल दिवस बनाते है।

जब आता दिसम्बर महीना उस समय पीयूष जी को थोड़ा जुकाम हो गया था फिर 22 दिसम्बर को गणित दिवस बनाया गया था और हर कोई छात्र गणित के बारे में बतलाता था। । नए साल 202o के प्रारंभ में पीयूष बैठा था तब वहा पर कुछ लोग आए जिनसे पीयूष जी की दोस्ती भी हो गई

जनवरी के अंतिम सप्ताह में सीसीई जमा करने की डेट आ गई थी तब पीयूष ने अपनी साथ पूरी सीसीई जमा करनी की जिम्मेदारी उठाई।

फरवरी में पर्यावरण का सीसीई जमा हुआ फिर उसके बाद कॉलेज में रोजगार मेला भी आयोजित हुआ।

फिर अंतिम समय पर परीक्षा फार्म का नोटिस आया और भौतिकी रसायन शास्त्र के प्रायोगिक परीक्षा भी होने वाली थी और इनकी परीक्षा के बाद सब लोग परीक्षा में जुट गए।

लेकिन फिर लोक डाउन का समय आकर सभी परिक्षा रद्द हो गई और सब लोग अपने घर में ही रहने लगे।

कुछ महीने बीत जाने के बाद सभी को प्रमोट करके अगली कक्षा में भेज दिया गया था और कुछ लोग खुश नज़र आएं और कुछ लोग उदास नजर आए।

फिर उसके बाद ऑनलाइन कक्षा का समय आया और आगे की कक्षा ऑनलाइन ही होती रही जिसमे कुछ बच्चो को समझ आ रहा था और कुछ बच्चो को नही।

सभी कक्षा ऑनलाइन के कारण परीक्षा भी ऑनलाइन ही हुई और तब जाकर पीयूष का bsc पूर्ण हुआ।

Priyanshu choudhary #प्रतियोगिता हेतु

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5 Comments

Shnaya

17-Feb-2024 10:41 PM

Nice one

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Mohammed urooj khan

15-Feb-2024 01:02 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Sushi saxena

14-Feb-2024 06:19 PM

Nice

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